लेखक चाल्र्स डिकंस् : जन्मस्थल से प्रसिद्धि यात्रा तक
निरंतर वर्षा हो रही थी, मैंने छतरी के नीचे से सामने देखकर निश्चित किया कि मैं अपने गंतव्य स्थल, माइल एंड टेरेस पर पहुंच गई हूं जो मेरे रुचिकर अंग्रेजी लेखक चाल्र्स-डिकंस् का बर्थ-प्लेस (जन्मस्थल) है। मैं अपने परिवार सहित इंग्लैंड के तटवर्ती नगर पोर्टस्मथ की यात्रा पर आई थी। मेरे सम्मुख, श्वेत घरों पर लाल छतों वाली, एक टिपिकल अंग्रेजी सड़क थी जहां दोनों ओर अनेक घरों के बीचों-बीच एक लाल ईंटों का भवन था जिस पर गोलाकार पलेट टंगी थी, जिस पर लिखा था-चाल्र्स डिकंस् का जनम यहां हुआ था, फरवरी के 7वें दिन, 1812 में। हाल ही में यहां डिकंस् की 200वीं वर्षगांठ पर अनेक समारोह आयोजित किए गए थे जिनमें से अनोखा था-डिकंस् के नोवल्स के रीडर और प्रशंसकों की बड़ी भीड़ ने, बर्थ-प्लेस के बाहर एकत्रित होकर, 7 फरवरी को लोकप्रिय गीत ”हैपी बर्थ डे टू यू” गाया था।
काली लोहे की फेन्स पर डिकंस् की पुरानी फेडिड फोटोग्राफ और आकर्षक लाल फूलों के ‘बिस्तर’ के आगे से निकल कर, छतरियां बाहर छोड़कर, हम ने 3-4 सीढिय़ां उतर कर, रसोई के मार्ग से, चाल्र्स डिकंस् की बर्थ-प्लेस में प्रवेश किया। यह पुराने घर का ‘ओरिजनल-किचन’ है जो आज म्यूजियम शॉप में परिवर्तित कर दिया गया है। इस संग्रहालय-शॉप में दो दर्शनीय डिसप्ले हैं-एक है बड़ा, काला किचन स्टोव जिस पर, 19वीं शताब्दी में, भोजन पकाने से लेकर, नहाने का पानी उबालने तक के सभी कार्य किए जाते थे। इस कमरे के दूसरी साइड पर एक सुंदर श्वेत ड्रेसिंग टेबल सजा है जो 1812 वर्ष में बनाया गया था और इस घर के ओरिजनल फर्नीचर का भाग है। आज ड्रेसिंग टेबल पर चाल्र्स डिकंस् की पुस्तकों और संबंधित सुविनियरस का डिसप्ले है।
हमने किचन से, चाल्र्स डिकंस, बर्थप्लेस का टूर आरंभ किया तो गाइड ने बताया कि रसोईघर के बाहर, एक विशाल ग्रेन्डफदरस्-क्लॉक (घड़ी) के पास की दीवार पर टंगे फ्रेम से डिकन्स् पारिवारिक वृक्ष, सर्वप्रथम देख ले। इस घर में रहते हुए चाल्र्स के माता-पिता, जॉन एवं एलिजबेथ डिकंस् की द्वितीय संतान की द्वितीय संतान का जन्म 1812 में हुआ। पैसों की तंगी के कारण, आने वाले वर्षों में परिवार को यह घर छोड़कर, तीन बार पोर्टस्मथ नगर में ही घर बदलने पड़े और अंत में जॉन-डिकंस को लंदन जाना पड़ा।
बर्थ-प्लेस के ग्राउंड-फ्लोर पर पर्यटकों के लिए विशेष लकड़ी के प्लेकार्डस् उपलब्ध हैं जिन पर, घर के प्रत्येक कक्ष के विषय में रोचक जानकारी है। हमें आश्चर्य हुआ कि संसार की विविध भाषाओं के प्लेकार्डस् में से एक हिन्दी में भी था। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इंग्लैंड के भीतरी क्षेत्रों में, भारतीय पर्यटकों की सुविधा के लिए, यह सकारात्मक कदम लिया गया है। बर्थ-प्लेस की सीढिय़ां चढ़ते हुए हमें बताया गया कि युवावस्था में लेखक चाल्र्स-डिकंस्, पुन: पोर्टस्मथ नगर आए जब वे अपने नॉवल ‘निकोलस-निकलबी’ पर रिसर्च कर रहे थे। यहां आकर उन्होंने अपना बर्थ-प्लेस होम भी ढूंढा। इस नॉवल में जैसा विवरण डिकंस ने पोर्टस्मथ का किया है, वह इतने वर्षों बाद भी अपरिवर्तित है।
अब हम ‘ग्रेड पारलर’ कक्ष में पहुंच गए थे जो 19वीं शताब्दी के ड्राइंग-रूम का प्रतिबिम्ब है। इस सुंदर कमरे के परदे, वॉल-पेपर, कारपेट एवं अलमारियां, 19वीं शताब्दी की प्रतिकृतियां हैं और ेकदम ओरिजनल दिखती हैं। कक्ष में खड़े हुए, यह कल्पना करना सरल था कि (1800 ए.डी.) के सोफे पर डिकंस् के अतिथि बैठ कर, (1810 ए.डी. के) साइडबोर्ड पर (1780 ए.डी.) में निर्मित अंग्रेजी-पोर्सलेन के टी-सेट से चाय पी रहे हैं। पारलर का अन्य मुख्य आकर्षण, फायर प्लेस के आगे रखा स्क्रीन है जिसका एक विशेष उपयोग था-अग्नि के सामने बैठने से मुख लाल नहीं होना चाहिए था।
पारलर से निकल कर हम सामने डाइनिंग रूम में गए जहां के परदे, कारपेट और साइडबोर्ड; सभी 19वीं शताब्दी की शैली का ध्यानपूर्वक पुन: निर्मित प्रतिकृतियां थीं। डाइनिंग-रूम का मुख्य आकर्षण था सुंदर किंग-जोर्ज के समय का गलासवेयर एवं महंगी शेफ्फील्ड क्राकरी; यह दोनों वस्तुएं 1800 के फैशनेबल घर का अहम भाग थीं।
इसके बाद हमने चाल्र्स-डिकंस् के बर्थ-रूम में प्रवेश किया। वहीं 1800 ए.डी. के स्टाइल में, किंग जार्ज शैली का फोर-पोस्टर बैड, टॉल ब्वाय चैस्ट ऑफ ड्राअरस् (दराजों वाली अलमारी), नीला-सफेद फूलदार वाश-बेसन से कमरे सजा था। नीचे लकड़ी के फर्श पर, फायर प्लेस (अंगीठी) के पास, चाल्र्स-डिकंस का नवजात शिशु -क्रेडल रखा था। इस ऐतिहासिक स्थल पर फोटोग्राफी करके, हम ऊपर के ऐटिक कक्षों की ओर चल पड़।
दोनों ऐटिकस घर के सबसे ऊपरी हिस्से में थे, जिन्हें पूर्व समय में बच्चों के कमरे या घर में काम करने वाले स्टाफ के कमरे के रूप मेंउपयोग किया जाता था। इतने छोटे से घर के प्रत्येक कोने का सदुपयोग किया गया था और घर अति स्वच्छ था। प्रथम ऐटिक-कमरे की खिड़कियों से नीचे, सुंदर गार्डन दिख रहा था।
एक दीवार से सटा रोसवुड-काउच वही था, जिस पर चाल्र्स-डिकंस् ने संसार त्यागा था। 1870 में उनकी मृत्यु, कैंट नगर के गैड-हिल घर में हुई थी तो बाद में उनकी भाभी जोरजिना-होमर्थ ने रोसवुड-काउच (लम्बा सोफा) को पोर्टस्मथ, के बर्थ-प्लेस म्यूजियम को दान कर दिया। नीचे के बर्थ-रूम में चाल्र्स डिकंस् के पैदा होने का क्रेडल देखा और फिर वह रोसवुड-•ाउच ; दोनों ही जीवन के दो महत्वपूर्ण सत्य हैं।
ऐटिक कमरे की दीवारें रोचक फ्रेमस से सुसज्जित थीं। एक फ्रेम में डिकंस् के लोकप्रिय नॉवल ‘अ क्रिसमिस कैरल’ का प्लेविल सजा था जो 1844 में लैटर-प्रेस टेक्नोलॉजी में छापा गया था।
अन्य ध्यान आकर्षण करने वाले डिस्पले हैं, डिकंस् के नॉवल की चित्रकारी और रेखाचित्र जो 19वीं शताब्दी का ट्रेंड था। उनके नॉवल ‘पिकविक-पेपरसज् को नॉवल रूप में लिखने से पूर्व, डिकंस् ने उसकी कॉमिक-रूप में सीरियल बनाया था जो बहुत हिट हुआ। फिर बाद में कॉमिक की सीरीज के आधार पर नॉवल लिखा।एक फ्रेम में डिकंस के कोट के महंगे मदर-ऑफ-पर्ल बटनों को प्रदर्शित किया गया है; साथ ही उनके बालों का गुच्छा भी डिस्प्ले पर है। उनकी और परिवार की अनेक फोटोस भी दर्शनीय हैं।
इसके बाद, हमने सामने वाले दूसरे ऐटिक कमरे में प्रवेश किया जिसमें एक साधारण मे•ा और कुर्सी थे परन्तु यहां पर सजे बुक-केस (पुस्तकों की अलमारी) और सुविनियर-केस (सजावटी कप, चम्मच एवं अन्य स्मृति चिन्हों की अलमारी) विशेष थे। ये लेखक चाल्र्स-डिकंस् की अपना अलमारियां थीं जो उनके कैन्ट-नगर
स्थित घर : गैडस्हिल में, बर्थ-प्लेस म्यूजियम को भेंट रूप में मिली थी।
हमारे सामने जो सुविनियर डिस्पले पर थे, उनमें से अनेक डिकंस् के जीवन काल के भी थे। उनके नॉवल्स में जो चित्र बनाए जाते थे, उन्हें बाद में विशेष रूप से सामान पर भी चित्रित किया जाता था। इससे व्यापारियों ने विशिष्ट ‘कलकटर-आइटम सीरीज’ आरंभ की जो आज तक प्रचलित हैं। हमने भी एक ऐसा सुविनियर-मग (कप) लिया, जिस पर स्पष्टता और रोचक ढंग से चाल्र्स डिकंस की जीवन कथा छपी थी।
डिकंस् बर्थ प्लेस से बाहर निकलते हुए, मैंने चाल्र्स-डिकंस् की बहुमुखी प्रतिभा को सो सहारा.माइल एंड टैरस बर्थ प्लेस से जीवन यात्रा आरंभ कर वे केवल एक प्रसिद्ध लेखक ही नहीं बने, परन्तु एक उत्तम जरनलिस्ट और रिफोरमिस्ट (समाज-सुधारक) भी थे। घर की ओर देखते हुए, मैंने सोचा कि प्रत्येक कमरे का प्रदर्शन इतना अच्छा था कि हमें कुछ देर के लिए, ऐसा प्रतीत हुआ कि हम वाकई 19वीं शताब्दी के चाल्र्स-डिकंस् के फैमली-होम में हैं!
चाल्र्स-डिकंस के जीवन की रूप-रेखा
चाल्र्स-डिकंस के बर्थ-प्लेस की यात्रा के अंत में अपने रीडर्स के साथ उनके जीवन का संक्षिप्त खाका शेयर करना चाहूंगी जो सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। चाल्र्स, आठ बच्चों वाले बड़े परिवार का एक भाग थे जिनका जीवन अभावों से गिरा था। केवल 15 वर्ष की आयु में उन्हें एक फैक्टरी में काम करना पड़ा जब उनके पिता को डेट-पृसन (ऋण-जेल) भेजा गया।
कुछ वर्षों बाद, उन्होंने एक वकील के यहां क्लर्क के रूप में काम किया और फिर एक जरनलिस्ट बने। नोवल ‘पिकविक-पेपरस’ से आरंभ हो, उन्होंने 14 नॉवल लिखे जो अधिकतर उनके बाल-जीवन के अनुभवों का प्रतिबिम्ब थे, विशेषकर ‘डेविड-कॉपर फीड’ और ‘ओलीवर-टविस्ट’ जिन पर आधारित अनेक फिल्में और टीवी नाटक हैं। साथ ही, आज भी स्कूल-कॉलेज के सिलेबस में डिकंस् के नॉवल सम्मिलित हैं। हाल ही में नई दिल्ली के वल्र्ड-बुक-फेयर (पुस्तक मेला) में चाल्र्स डिकंस् के नॉवल ‘ए टेल ऑफ टू सिटीस्’ और ‘निकोलस-निकलबी’ को बिकते देख, उनकी 200 वर्षों से निरंतर लोकप्रियता की ओर ध्यान गया।