भक्ति वेदांत मैनर
इंग्लैंड के भक्ति वेदांत मैनर द्वारा वॉटफोर्ड थिएटर में रामायण प्रस्तुति की सूचना ई-मेल पर पढ़ते ही लंदन की ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर बिताई एक संध्या की यादों का आवंटन हुआ, जब वहां एकत्रित जननसमूह का मैं भी एक भाग थी, जो इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉनशियसनस (इसकॉन) के हर्षित-समूह के आगमन की प्रतीक्षा कर रहा था।एक सर्वे अनुसार लंदन पर्यटन चिन्हों में प्रथम स्थान लाल डबर-डेकर बस का है, दूसरे स्थान पर पुराने मॉडल की काली टैक्सी है तो तीसरे स्थान पर इसकॉन डिवोटी (भक्त) हैं।
शीघ्र ही हरे रामा हरे कृष्णा के लय गायन से वातावरण गूंजने लगा जिसने कई सौ का ध्यान आकर्षित किया। केसरिया वस्त्रधारियों ने, मंजीरों की रूहानी ध्वनि से, ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट को जीवंत किया। प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक और भक्त बड़े उत्साह से भारतीयों और विदेशियों का मिला-जुला इसकॉन संकीर्तन समूह को देखने की आशा में इकट्ठे होने लगते हैं जो रूहानी संगीत को गीतों और तालबद्ध नृत्य के संग प्रस्तुत करते हैं। लंदन की विविध संस्कृतियों का इसकॉन एक प्रशंसनीय अंग है और उनके समूह द्वारा रचित नैसर्गिक दृश्य दर्शनीय हैं जो सेन्ट्रल लंदन के फैशनेबल क्षेत्र के रेस्तरां और नाइट क्लबों के आगे से होकर प्रसिद्ध लेस्टर-स्कोयर की ओर बढ़ता है। पर्यटक, व्यापारी, भक्त, दुकानदार सभी इसकॉन समूह को देखने की प्रतीक्षा करते हैं। संसार भर में इसकॉन की ईश्वरीय गतिविधियों ने हज़ारों का ध्यान आकर्षित किया है, चाहे वे आस्तिक हो या नास्तिक।
भक्ति वेदांत मैनर
ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर बिताई उस संध्या ने हमारी भक्ति वेदांत मैनर की यात्रा की अगवानी की। असाधारण संस्कृत और अंग्रेजी मिश्रण नाम वाला भक्ति वेदांत मैनर, विश्व के दस हज़ार इसकॉन मंदिरों में से सर्वाधिक प्रमुख है और पुराना है। रमणीय स्थल वॉटफोर्ड में स्थित यह मंदिर इसकॉन की हरे रामा-हरे कृष्णा गतिविधि का मुख्य केन्द्र है। अंग्रेजी ग्रामीण क्षेत्र में बना भव्य भवन भक्ति वेदांत मैनर श्री राम और श्री कृष्ण का एक निवास स्थान है।
लंदन से वॉटफोर्ड जाते हुए मेरे विचार विश्व विख्यात गातक एवं संगीतज्ञ ‘बीटल’ जोर्ज हैरिसन की ओर मुड़ गए जिनके ‘बीटल’ ग्रुप को साठ के दशक में सुर के देवता माना जाता था। भारत यात्रा पर ऋषिकेश की पावन भूमि पर उन्हें वशीभूत करने वाले अनुभव हुए और इस रूहानी जागृति का अनुसरण करते हुए, उनका शेष जीवन बीता। ‘बीटल’ जोर्ज हैरिसन, आने वाले वर्षों में न केवल इसकॉन धारा का भाग बने परन्तु कई एकड़ों में विस्तृत मैनर को भी इसकॉन को दान किया। ऐसा माना जाता है कि इसकॉन के भक्ति वेदांत मैनर की इंग्लैंड में स्थापना और ‘बीटल’ जोर्ज हैरिसन का पूर्व जन्मों का निर्धारित सम्बन्ध रहा होगा।
ट्यूडर राजाओं के समय के मैनर में शांत और हरे-भरे वातावरण में प्रभु निवास करते हैं। मुख्य द्वार के भीतर भी शांति प्रचलित है जिसकी संदल और पुष्पों की सुगंध में वृद्धि होती है। विभिन्न देशों और रंगों के भक्त और पर्यटक मुख्य हाल में एकत्रित थे। त्वचा भूरी हो या गोरी, नेत्र नीले, हरे, काले या भूरे हों-सभी एक ही ईश्वरीय शक्ति की खोज में थे।
हाल के अगले भाग में अत्याधिक सुंदर सुनहरा, बारीक नक्काशी वाला ‘श्राइन’ था जिसमें एक ओर सम्पूर्ण राम दरबार-श्री राम, देवी सीता और लक्ष्मण , हनुमान संग विराजित थे और उसके साथ श्री कृष्ण और राधिका जी विराजित थीं। उन्होंने ‘ज्यर्तिमय चमक’ वाले वस्त्र धारे थे और उनके शृंगार में चार घंटे ताक का समय लगता है। महामंत्र की संगीतमय ध्वनि हवा में गूंजती है, जो एक स्मरणीय दृश्य है।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे रहे।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्मा कृष्णा हरे हरे।।
गुरु शृला-प्रभुपाद
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण भक्तिवेदांत-मैनर की ऊपरी मंजिल पर इसकॉन धारा को जन्म देने वाले गुरु शृला-प्रभुपाद जी कक्ष हैं जिन्होंने इसकॉन को संसार भर में विस्तृत किया और ग्लोबल रूप प्रदान किया, चाहे वे पश्चिमी देश हों-अमरीका, इंग्लैंड, यूरोप या फिर एशिया महाद्वीप हो. इसकॉन के गतिदायक स्वामी प्रभुपाद जी के दर्शन-कक्षों में जो ऊपर की मंजिल पर स्थित थे। उन्हें देख ऐसा आभास हुआ मानों स्वामी जी अभी भी वहां विद्यमान हैं। सभी कक्षों में फर्नीचर चमक रहा था और हम दर्शन-कक्ष तक आ सके, तो अपने को सौभाग्यशाली समझा।
1969 की बसंत ऋतु में श्रीला प्रभुपाद जी लंदन पहुंचे और ‘बीटल्स’ ग्रुप के एक अन्य सदस्य गायक जॉन लेनन के यहां रुके। फिर ‘बरी प्लेस’ नामक बिल्डिंग में भक्तों का तांता लगने लगा और शीघ्र ही वह स्थान छोटा पड़ गया। तब प्रभुपाद जी ने अपने शिष्य धनंजय दास जी को सहायता के लिए जार्ज हैरिसन के पास भेजा तो उसने कहा कि ऐसी सहायता करने का अवसर उसके लिए गर्व का कारण है। बस फिर 1973 की ग्रीष्म ऋतु में भक्ति वेदांत मैनर का जन्म हुआ। निरंतर प्रगतिशील विचारों वाले प्रभुपाद जी ने अपने जीवन काल में 12 बार संसार भर के 6 महाद्वीपों में लेक्चर-टूर किए और राम-कृष्ण भक्ति में विश्व विजय पाई। 1973 से 1980 के बीच में इसकॉन की धारा इंग्लैंड के अनेक नगरों में बहने लगी। प्रभुपाद जी के शयन कक्ष में सजे उनके चित्र को देख कर उनके जीवन काल की यादें उमड़ आईं।
इसके बाद हम ने भक्ति वेदांत मैनर के बाहरी परिसर में भ्रमण आरंभ किया, जहां दूर-दूर तक हरियाली की चादरें बिछी थीं और प्राकृतिक सुन्दरता में फव्वारों, मूर्तियों और झील ने वृद्धि की थी। इसकॉन एवं धार्मिक साहित्य, शुद्ध शाकाहारी मिठाइयां, स्नेक्स और मूर्तियों की आकर्षक छोटी दुकानें थीं। शाकाहारी केक, पेस्टरी और व्यंजनों की यहां इतनी विविधता थी कि चयन कठिन हो गया कि क्या खाया जाए।
तुलसी कक्ष
भक्ति वेदांत-मैनर परिसर में मुख्य मंदिर के कुछ आगे बढ़ कर अत्युत्तम तुलसी कक्ष है जिसमें एक विशाल ग्लास हाउस (कांच और लकड़ी का कमरा) में हरे-भरे तुलसी पौधों की अनेकों पंक्तियों से परिपूर्ण था। इंग्लैंड में अधिकतर ठण्ड रहने के कारण तुलसी केवल ग्लास हाउस में ही उग सकती है जो अपने भीतर सूर्य की गर्मी पैदा कर लेता है जिससे उसके भीतर का तापमान सदैव गरम रहता है जो तुलसी के लिए लाभदायक है। तुलसी कक्ष के निकट पहुंचने पर कानों में बांसुरी की सुरीली ध्वनि सुनाई दी। भागवत गीता और पुराणों अनुसार श्री कृष्ण को तुलसी अतिप्रिय है और तुलसी कक्ष में यह ध्वनि इस आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है।भक्ति वेदांत-मैनर में तुलसी कक्ष देखते हुए भारत के जालंधर नगर के देवी वृंदा मंदिर और यह कथा स्मरण हो आई.
न्यू-गोकुल : आधुनिक गोशाला
बांसुरी वादन की मधुर एवं मन को शांत करने वाली बांसुरी की गूंज सुनते हुए हम भक्ति वेदांत मैनर परिसर में ही कुछ दूरी पर स्थित प्रसिद्ध गोशाला की ओर चल पड़े जो दर्शनीय है। 1974 में एक गाय के साथ आरंभ की गई गोशाला में आज साठ गाय और बैल हैं जिससे तंग स्थान हो जाने पर 2.54 मिलियन पाउंड्स (एक पाउंड रु. 80 औसत) के व्यय से न्यू-गोकुल नामक आधुनिक गोशाला 2008 में आरंभ की गई। आकर्षक रूप से बनी न्यू-गोकुल में ‘इको-फ्रैंडली’ निर्माण वस्तुओं का प्रयोग किया गया है जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहे जैसे पूर्ण छतें ‘सोलर-रूफ’ हैं जो सूर्य की ऊष्णा को अति उत्तम प्रयोग है। भक्ति वेदांत मैनर की गोशाला गाय-बैल का आश्रय स्थल तो है ही, जिसमें दूध के उत्पादन के साथ-साथ मशीनरी के उपयोग से ‘ऑक्स पावर हाउस’ भी निर्मित किया गया है। इस प्रकार से हिन्दू परम्पराओं और वैदिक साहित्य का अनुसरण करते हुए, सुंदर डिजाइन वाली इसकॉन की गोशाला एक प्रशंसनीय प्रयास है।
भक्ति वेदांत मैनर- पुराने रिकार्ड
थरमाकोल की थाली में अनेक प्रकार का लंच प्रसाद ले, सुनहरी धूप में हम भक्ति वेदांत मैनर के बाहर लॉन में बैठे, मंदिर-मैनर की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि के विषय में सोचने लगे जो 13वीं शताब्दी से आरंभ होता है। सर्वाधिक पुराने रिकार्ड के अनुसार यह एस्टेटें एक अंग्रेज-जेफरे पिकॉट की सम्पत्ति का भाग थीं जिस पर 300 वर्षों के बाद-16वीं शताब्दी में ट्यूडर-शासकों के समय के डिजाइन का ट्यूडर होम बनवाया गया। फिर इसे, जार्ज विलिस ने खरीदा और 1884 में पुराना घर तोड़कर नवीन ट्यूडर होम बनवाया; जैसा कि हम ने आज इसे देखा। सदियां बीतने पर भी इसे पिकॉट-मैनर ही पुकारा जाता था और विश्व युद्ध के समय, इसमें नर्सिंग होम भी बनाया गया। फिर, इसे बिक्री पर लगा दिया गया, तब बीटल जार्ज हैरिसन को इसके विषय में पता चला तो उन्होंने मैनर को खरीद कर अपने गुरु श्रीला प्रभुपाद जी को अर्पित किया जहां से भक्ति वेदांत मैनर, नाम का आरंभ हुआ और इसकॉन एक विश्व विख्यात मूवमेन्ट बना। 16वीं शताब्दी की भक्ति-धारा के संस्थापक चैतन्य महाप्रभु की कृष्ण भक्ति का इसकॉन वर्तमान रूप है।
बीटल जार्ज हैरिसन की 1967 की भारत यात्रा
भोजन प्रसाद के पश्चात् स्वामी जी ने गायक संगीतज्ञ बीटल जार्ज हैरिसन की 1967 की भारत यात्रा के विषय में जानकारी दी। स्वामी जी हमें साठ के दशक में ले गए जब संसार के सभी देश ‘बीटल मेनिया’-बीटल्स ग्रुप के संगीत और गायन द्वारा छाया नशा या पागलपन से प्रभावित था। बीटल्स का संगीत मिलियन्स के हृदयों की धड़कन था परन्तु ग्रुप के सदस्यों के अपने हृदय में अशांत कोहराम था जो अक्सर प्रसिद्धि और अपार धन से उत्पन्न होता है। वह क्या था जो सब कुछ होते हुए भी ‘नहीं’ था; बस अपूर्ण होने की भावना रहती थी। फिर 1967 में भारत की धार्मिक नगरी ऋषिकेश की यात्रा के दौरान बीटल्स; विशेषकर जार्ज हैरिसन के जीवन में प्रसन्नता एवं शांति का संगीत जागृत हुआ जिसे वह लंदन जाकर भी न भुला सके। उनके लिए भारत की प्रफुल्लत-आध्यात्मिक यात्रा स्मरणीय है।
इंग्लैंड में श्रीला प्रभुपादजी
दो वर्ष के बाद श्रीला प्रभुपादजी के दो शिष्य-शाम सुंदर दास जी और मुकुन्द दास जी लंदन में मंदिर की स्थापना करने गए। वहां ‘ऐपल-रिकार्डÓ समारोह पर उनकी भेंट ‘बीटल’ जार्ज हैरिसन से हुई। ऋषिकेश यात्रा से चेतना के द्वार पर लगा ताला तो टूट ही चुका था, अब चेतना-द्वार खुल गए और जार्ज का स्वामी प्रभुपाद जी के शिष्यों से बन्धुत्व हुआ। फिर, स्वामी जी के स्वयं बृटेन आने पर एक अनन्त संबंध चिरस्थायी हुआ। एक ओर जार्ज की रुचि कृष्णा-कॉनशियसन्स (कृष्ण चैतना) में निरंतर रही तो दूसरी ओर उन्होंने अनेक कृष्ण गीत लिखे जिसमें और राधा-कृष्णा एलबम की रचना की। हरे राम-हरे कृष्ण मंत्र के रिकाड्र्स ने संगीत-चार्टस में सर्वप्रथम स्थान ग्रहण किया और संगीत इतिहास में नवीनतम कीर्तिमान स्थापित किया। 1970 की रिकार्ड सेल में दस उत्तम रिकाड्र्स में से ‘बीटल’ जार्ज हैरिसन का हरे रामा-हरे कृष्णा रिकार्ड, प्रथम स्थान पर रहा।
हमें, स्वामी जी ने 1971 में छपी इसकॉन की प्रथम पुस्तक-‘कृष्णा, द सुप्रीम-परसनेल्टी ऑफ गॉडहेड’ के विषय में बताया जिसे छपवाने के लिए जार्ज हैरिसन ने धन संचित किया। भक्ति वेदांत मैनर-मंदिर की ओर देखते हुए उन्होंने बताया कि 1972 में जार्ज मैनर के दानदाते बने जो यहां इंग्लैंड में, कृष्ण जन्म भूमि भारत से हजारों मील दूर, प्रभु राम और कृष्ण का निवास स्थान बना। श्रीला प्रभुपाद जी ने प्रभु में लीन होने से पूर्व, अपनी अंगूठी, प्रेम पूर्वक जार्ज हैरिसन को दे दी।
वर्तमान में भक्ति वेदांत मैनर
वर्तमान में भक्ति वेदांत मैनर वैदिक साहित्य, कृष्ण उपदेशों और शिक्षा का, पश्चिमी देशों का मुख्य केन्द्र है। अंग्रेजी शिक्षा के नेशनल-स्तर को ध्यान में रखते हुए, भक्ति वेदांत स्कूल को दक्षता से चलाया जा रहा है। समय-समय पर भारतीय उत्सवों के साथ-साथ यहां निजी विवाह-समारोह भी संपन्न किए जाते हैं। इंग्लैंड में इसकॉन की अति उत्तम छवि है, जिसकी समय-समय पर घटि इवेन्ट्स से वृद्धि होती रहती है। 2011 में राधानाथ स्वामी जी ने यू.के. पारलियामेन्ट में, हाऊस ऑफ कामन्स (लोकसभा) के मिनिस्टरस और मेम्बर पारलियामेन्ट्स को भाषण दिया। इस वर्ष भी हाऊस ऑफ लोड्र्स (राज्यसभा समान) में भाषण देने का आमंत्रण है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन ने इसकॉन से अपने निवास 10, डाउनिंग स्ट्रीट पर दिवाली उत्सव का उद्घाटन करवाया।
भक्ति वेदांत मैनर मंदिर से जाते हुए हम ने समझा कि वह न केवल इसकॉन की नैसर्गिक-उत्साह का प्रतीक है परन्तु ‘बीटल’ जार्ज हैरिसन की भक्ति, करुणा और समवेदना का भी साक्षी है।
Images Curtsey: Sh. Arvind Chopra